पुरुषों की मेंटल हेल्थ को बिगाड़ रही है यह 4 चीजें

पुरुषों की मेंटल हेल्थ के बारे में सचेत होने की जरुरत है। ज्यादातर पुरुष मेल ईगो और सही जानकारी मिलने की वजह से कई परेशानिओ का सामना कर रहे है।

पहले हम समझते थे कि पुरुषों की तुलना में स्त्रियों को मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं होने का खतरा ज्यादा है। मगर हाल के समय में यह धारणा टूटती हुई दिखाई दे रही है।

अगर मैं अपनी क्लिनिकल प्रैक्टिस के बारे में बात करूं तो, पुरुषों में पहले के मुकाबले मानसिक समस्याएं बढ़ती जा रही है। अब यह कहना मुनासिब नहीं लगता कि स्त्रियों को खतरा ज्यादा है और पुरुषों को कम।

मैं यह कह सकता हूं कि अब मामला पुरुष या स्त्री तक ही सीमित नहीं है बल्कि, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का कारण व्यक्तिगत व्यक्तित्व पर ज्यादा आधारित है।

किसी भी समस्या को समझने के लिए पहले उसके उदभव के कारणों को समझना बहुत ही जरूरी है, क्योंकि कारण समझ में आते ही उपाय भी आसानी से मिल सकते हैं।

तो आइए समझते हैं पुरुषों में बढ़ती मानसिक समस्याओं के पीछे क्याक्या कारण हो सकते हैं

1 सच्चे दोस्तों की कमी

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आज हमारे कनेक्शंस तो बढ़ रहे हैं मगर, उसके सामने सच्चे दोस्त कम होते जा रहे हैं। पिछले कुछ ताजा रिसर्च बता रहे हैं कि हाल के समय में पुरुषों ने यह स्वीकार किया है कि उनके पास सच्चे दोस्तों की कमी है।

कहीं पुरुषों ने यह भी कहा है कि उनके पास सिर्फ गिने-चुने दोस्त ही है जिस पर वह थोड़ा बहुत भरोसा कर सकते हैं।

साइकोलॉजि की कई रिसर्च यह कहती है कि अच्छे दोस्त होना मतलब अच्छा मानसिक स्वास्थ्य।

जिन लोगों के पास अच्छे दोस्त होते हैं उनको मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं होने का खतरा बहुत कम रहता है। क्योंकि साइकोथेरेपी की एक प्रचलित और असरकारक थेरेपी में Talk थेरेपी शामिल है जिसमें मन की गहराई से जुड़ी भावनाओं को बातों से व्यक्त किया जाता है और थेरेपिस्ट उसे बहुत ही शांति से ध्यान देकर सुनता है। साथ ही व्यक्ति का मन हल्का हो सके ऐसे संवाद करता है।

एक अच्छा दोस्त थेरेपिस्ट से कम नहीं होता।

क्यों दोस्त कम हो रहे हैं!

कुछ ज्यादा ही परिवर्तनशील और कंपटीशन के इस युग में व्यक्ति में प्रोफेशनलिज्म की बढ़ोतरी हो रही है। आजकल हर कोई एक दूसरे से आगे निकलना चाहता है। परिवार के सभ्य हो, पड़ोसी हो, साथ काम करते सह कर्मीचारी हो, या भाई भाई ही क्यों ना हो आज अंदर ही अंदर सभी के बीच में कंपटीशन बढ़ रही है।

अब दोस्ती भी कंपटीशन के दायरे से बाहर नहीं है। आपने भी यह अनुभव किया होगा कि आपके दोस्त आपके साथ किसी ना किसी बात में कंपटीशन करते रहते हैं। जहां कॉन्पिटिशन बढ़ती है वहां सच्ची दोस्ती दम तोड़ देती है।

समाज में बढ़ता हुआ पैसों का महत्व हर किसी को ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए दोड़ाता रहता है। मगर इस दौड़ में हम भूल रहे हैं कि पैसे से चाहे जितनी भी सुख संपदा खरीद ले, पर अंत में वह सुख संपदा को जब तक दोस्तों के साथ साजा नहीं करेंगे तब तक वह सुख संपदा आनंद और संतोष नहीं दे सकती।

विश्व कक्षा पर सभी देशों में छोटे गांव और छोटे टाउन से निकलकर आदमी बड़े सिटी या मेट्रो सिटीज में सेट होना चाहता है। चाहे वह खुद भले ही संतुष्ट हो मगर परिवार की इच्छा के कारण व अपने पुराने बचपन के दोस्तों से दूर हो जाता है और उसे ज्यादा पैसे और चकाचौंध से भरी जीवन शैली जीने के लिए अपना होमटाउन छोड़ना पड़ता है।

आप यह भली-भांति जानते हैं कि जो दोस्ती बचपन में होती है वैसी दोस्ती वयस्क होने के बाद में शायद ही विकसित हो सकती हैं।

आपसी कंपटीशन और समय की कमी हम लोगों के बीच अविश्वास पैदा कर रही है और जहां अविश्वास है वहां दोस्ती कैसे हो सकती है!

2 बढ़ता हुआ शराब का सेवन

कई पुरुष इस मानते है कि जो पुरुष शराब नहीं पीता वह कमजोर है या पुराने ख्यालों का है। एक सामान्य आदमी यह सोचता है कि शराब पीने से Stress कम हो जाता है और अच्छी नींद आती है। यह बात शुरुआती समय में तो सच लगती है। हमें दो पेग लगा लेने से राहत महसूस होती है। मगर शराब के यह दो पैग हमारी राहत से आदत में कब तब्दील हो जाते हैं हमें पता भी नहीं चलता।

ह्यूमन साइकोलॉजी के अनुसार हमें जो चीज अच्छी लगती है उसे हम बार-बार दोहराना चाहते हैं हमें लगने लगता है कि थोड़ा अल्कोहल लेने से हमारा Stress कम हो रहा है और आज के समय में Stress किसके जीवन में नहीं है! मगर शायद हम नहीं जानते कि एक शौख या मौज-मस्ती से शुरू हुई यह अल्कोहल की आदत हमारे मानसिक स्वास्थ्य को कमजोर कर सकती हैं।

हमें दो पैग के बिना नींद नहीं आती और कभी-कभी दो की जगह 4 या 6 पेग तक पहुंच जाते हैं। Alcohol हमें लगातार उस पर निर्भर करता जाता है। हम शाम होने की राह देखते रहते हैं। थोड़े समय के बाद हम शाम होने की राह भी नहीं देख पाते, दिन में ही अपनी शराब पीने की इच्छा पूरी कर लेते हैं।

शराब पर बढ़ती निर्भरता हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को तो कमजोर करती ही है साथ ही हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी नकारात्मक असर पहुंचाती है। नींद की कमी, मूड स्विंग्स, अधिक गुस्सा, आलस, सोचने की क्षमता में कमी इस तरह के लक्षण दिखने का मतलब है हम मानसिक तौर पर पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं है।

अगर हम Alcohol खुद के निर्णय से छोड़ नहीं पा रहे हो तो, हमें किसी स्पेशलिस्ट या डी_एडिक्शन ( नशा मुक्ति केंद्र ) सेंटर का संपर्क करना चाहिए जहां थोड़े समय के treatment से Alcohol की आदत छूट सकती है।

3 अफेयर की उलझने

आज के समय की एक सबसे बड़ी समस्या है पेचीदा रिलेशनशिप। मेरी क्लिनिकल प्रैक्टिस में शायद 40 प्रतिशत हिस्सा रिलेशनशिप के प्रॉब्लम का ही है। उसमें भी शादी से पहले के रिलेशनशिप, शादी के बाद पैदा होने वाली समस्याएं, डिवोर्स और एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर शामिल है।

एक टॉक्सिक रिलेशनशिप हमारे मेंटल हेल्थ को तहस-नहस कर देता है। मैंने पाया है कि आजकल 50 से 60 प्रतिशत लोगों के रिलेशनशिप टॉक्सिक हो चुके हैं। जिसका कारण स्त्री और पुरुष दोनों ही है। कहीं ना कहीं हम हमारे व्यक्तित्व के अनुसार अपना पार्टनर चुन नहीं पाते हैं, जिसकी वजह से टकराव बढ़ने लगता है।

सभी रिलेशंस में शुरुआती समय गोल्डन पीरियड होता है और बाद में यह रिलेशनशिप में से कैसे निकला जाए यह सवाल हमें परेशान करने लगता है। हम आकर्षण और मोह को प्यार समझ कर पार्टनर को पसंद तो कर लेते हैं, मगर यह आकर्षण जल्द ही खत्म हो जाता है।

रिलेशनशिप में बुनियादी तौर पर समस्या यह है कि, दो दुखी व्यक्ति एक दूसरे को या खुद को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं। मगर जो हमारे पास होगा वही तो हम दे पाएंगे। दुख होगा तो दुख देंगे और खुशी होंगी तो खुशी। दोनों ही खाली हाथ जुदा होते हैं मिलता है तो सिर्फ आघात, अनिद्रा, नशे की लत, डिप्रेशन, शंकी मानसिकता और आत्महत्या के विचार।

4 फाइनेंसियल प्रॉब्लम्स

मुझे मिलने वाले पुरुषों में अधिकतर पुरुष अपनी जॉब से काफी परेशान रहते हैं। उनके लिए जॉब यानी तनाव और टेंशन यही मतलब है।

पुरुषों के जीवन का अधिकतर हिस्सा पैसे कमाने के पीछे खर्च हो जाता है।

कोरोना के बाद तो कई प्रकार के बिजनेस और व्यवसाय को भी काफी नुकसान पहुंचा है आए दिन आप सुनते ही होंगे कि इस कंपनी ने अपने इतने कर्मचारियों को निकाल दिया।

आपको जानकर हैरानी होगी कि फाइनेंसियल अस्थिरता के कारण चाइना, जापान और अमेरिका जैसे कई देशों के युवा शादी भी नहीं करना चाहते हैं। लोन और क्रेडिट कार्ड कल्चर हमारी जरूरतों को बढ़ा रहा है और साथ ही stress को भी।

Simple living बहुत कम लोग पसंद कर रहे हैं ज्यादातर लोगों को Luxurious life आकर्षित कर रही है। ऊपर से Income लिमिटेड होने की वजह से हम अपनी जरूरते या यू कहे, इच्छाएं पूरी करने के लिए कुछ ज्यादा ही जोखिम उठा लेते हैं।

अपनी इच्छाएं और इनकम के बीच एक लंबी खाई बन जाती है जिससे हमेशा पैसों की कमी, लोन, तनाव, एंग्जाइटी, सुसाइड, रिस्पांसिबिलिटी से भागना यह सारी चीजें जीवन को बरबाद कर देती है।

कुल मिलाकर कहे तो हमारी मेंटल हेल्थ हमारे द्वारा लिए गए एक्शन का परिणाम ही है।

एक सुलझे हुए पुरुष के लक्षण क्या हो सकते हैं!

1- पुरुषों की मेंटल हेल्थ के लिए अपने आप को मेहनती और पॉजिटिव लोगों के बीच रखना जरूरी है।

2- पुरुषों की मेंटल हेल्थ के लिए अच्छी आदतों को डेवलप करते रहना जरूरी है।

3- पुरुषों की मेंटल हेल्थ के लिए एक अच्छा सा सक्रिय Daily Routine बनाए रखना चाहिए।

4- पुरुषों की मेंटल हेल्थ के लिए रिलेशनशिप के बारे में बहुत ही सीरियस और सिलेक्टिव रहना चाहिए।

5- पुरुषों की मेंटल हेल्थ के लिए Casual relationship को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।

6- पुरुषों की मेंटल हेल्थ के लिए हमेशा अपनी इनकम से खर्च को कम रखना चाहिए।

7- पुरुषों की मेंटल हेल्थ के लिए अपनी पत्नी, बच्चों और परिवार के प्रति वफादार और रिस्पांसिबल रहना चाहिए।

8- पुरुषों की मेंटल हेल्थ के लिए Income के एक से ज्यादा सोर्सेस तैयार करना चाहिए।

9- पुरुषों की मेंटल हेल्थ के लिए नई स्किल्स सीखना और लगातार अपने ज्ञान को बढ़ाते रहेना चाहिए।

उपवास क्या है

 

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Arvindsinh Rana

Counseling Psychologist

 

 

 

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