उपवास क्या है? कोन नहीं कर सकता? उपवास के फायदे क्या है ? एसे कई सवाल होते है जब हम उपवास के बारे मे सोचते है मगर सही जानकारी के अभाव मे कई बार हम उपवास को समज नहीं पते है।
आप सभी ने अपने जीवन में कभी ना कभी उपवास (Fasting) तो किया ही होगा। भले ही कारण कोई भी हो सकता है। आप किसी भी धर्म में विश्वास करते हो मगर उपवास का महत्व सभी धर्मों देश और संप्रदाय में पाया गया है।
उपवास का अर्थ – Meaning of Fasting in Hindi
आइए पहले उपवास शब्द का अर्थ समझते हैं उपवास शब्द दो शब्दों का जोड़ है, जिसने उप का अर्थ होता है नजदीक, पास और वास का मतलब होता है स्थिर होना, बैठना, ठहरना इत्यादि। यानी कि “नजदीक बैठना”। मगर किसके?
यहां पर हम ऐसा भी कह सकते हैं कि ईश्वर के पास बैठना या ऐसा भी कह सकते हैं कि हमारे खुद के पास बैठना स्वयं में स्थिर होना।
उपवास करके ऐसा तो क्या होता है कि हम खुद के या ईश्वर के समीप आते हैं।
जैसे कि हम सब जानते ही हैं कि हमारे धर्मों का उद्देश्य मनुष्य की चेतना को विकसित करना है और वह भी वैज्ञानिक पुष्ट भूमि पर।
तो उपवास भी एक वैज्ञानिक पद्धति है जिसका प्रभाव हमारे शरीर, मन और हमारी चेतना पर पड़ता है।
उपवास क्या है? – Scientific Explanation of Fasting in Hindi?
मनुष्य को जीवित रहने के लिए हवा, पानी और भोजन की आवश्यकता होती है हवा के बिना चंद सेकंड, पानी के बिना कुछ घंटे, और भोजन के बिना कुछ दिन जीवित रहा जा सकता है।
उपवास के दौरान हम भोजन का त्याग करते हैं या फिर उनका त्याग करते हैं क्योंकि भोजन को पचाने के लिए हमारे शरीर को लगातार काम करना पड़ता है।
क्योंकि हम दिन में तीन से चार बार खाना खाते हैं और इस खाने को पचाने में हमारी बहुत सी उर्जा खर्च हो जाती है।
आजकल किया जाने वाला भोजन पचने में ज्यादा भारी होता है।
ईस प्रकार के भोजन पाचन शक्ति को और भी मंद करते जाते हैं। मंद पाचन शक्ति के कारण हमारा भोजन पूर्ण रूप से पचता नहीं है और उससे कचरा पैदा होता है, जो हमारे शरीर में जमा होता रहता है।
धीरे-धीरे यह कचरा हमारे खून में मिलने लगता है जो खून हमारे सारे शरीर में Circulate होता रहता है। यह कचरा हमारे खून के माध्यम से किसी भी अंदरूनी अंग को नुकसान पहुंचा सकता है और रोग का कारण बन सकता है।
हमारे शरीर में पैदा होने वाले रोगों में सर्दी जुकाम से लेकर कैंसर तक की समस्या का कारण शरीर में जमा हुए Toxins (कचरा) ही है। तो अगर हमें रोगों से बचना है तो शरीर को समय-समय पर साफ करना बहुत ही जरूरी है।
आज की भाषा में कहे तो शरीर को Detox करना आवश्यक है। जिसके कई विकल्प है जिसमें से उपवास यानी Fasting एक उत्तम विकल्प है।
जब हमारे शरीर के पास भोजन पचाने का काम नहीं होता तब वह अपनी ऊर्जा शक्ति को शरीर साफ करने में लगाता है।
जिसे हम उपवास कहते हैं वह दरअसल शरीर को Detox करने का एक तरीका है।
यहां तक कि वैज्ञानिक शोधों में पाया गया है की उपवास अगर योग्य पद्धति से किया जाए तो कैंसर जैसे महा रोगों में भी उसका लाभ मिल सकता है।
उपवास का धार्मिक महत्व
दुनिया के लगभग सभी धर्मों में उपवास का महत्व दर्शाया गया है।
अब तक हमने देखा कि योग्य विधि से उपवास करने से शरीर स्वस्थ और तरोताजा रहता है, साथ ही उपवास हमारे मन पर भी गहरा प्रभाव छोड़ता है।
सभी धर्मों में उपवास के दौरान धार्मिक अनुष्ठान, ध्यान, जप, तप, प्रार्थना इत्यादि करने का महत्व दर्शाया गया है। क्योंकि जो ऊर्जा हम भोजन को पचाने में खर्च कर रहे थे, अब वह ऊर्जा हमारे मन को स्थिर करने में लग सकती है।
हम ईश्वर का ध्यान कर सकते हैं। हम आध्यात्मिक साधना कर सकते हैं।
आपने भी अनुभव किया ही होगा जब हम उपवास करते हैं तब अपने आप को ज्यादा ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस करते हैं।
यहां पर एक बात को समझ लेना जरूरी है कि जब भी हम किसी धार्मिक प्रक्रिया के भाग रूप उपवास करते हो तब हमे ध्यान, साधना, तप, जप मैं हमारा ज्यादातर समय बीतना चाहिए ना कि हमारे सांसारिक कामों में उलझे रहना चाहिए, अन्यथा धार्मिक उपवास का कोई लाभ हमे चेतना के स्तर पर नहीं मिल सकता है।
उपवास और व्रत में क्या फर्क है?
वैसे देखा जाए तो सिर्फ शब्दों का फर्क मालूम होता है।
लेकिन धार्मिक दृष्टि से देखें तो व्रत एक अनुष्ठान है जिसके पीछे कोई निश्चित ध्येय होता है, कोई निश्चित देवी देवताओं की आराधना होती है, जिसे हम अपना भाव समर्पण करना चाहते हैं।
कई बार कोई सिद्धि या शक्ति हासिल करने के लिए भी व्रत किया जाता है। जैसे की नवरात्रि का व्रत इत्यादि ।
जहां उपवास को केवल शरीर और मन की शुद्धि प्रक्रिया कह सकते हैं।
प्राणी भी उपवास करते हैं? – is Animals do fasting?
ऐसा पाया गया है कि कोई प्राणी जब बीमार या अशक्त होता है तब वह अपने आप को स्वस्थ करने के लिए खाना-पीना छोड़ देता है, क्योंकि उसे भी इतनी तो समझ है कि बीमारी से लड़ने के लिए शरीर को भोजन पचाने के काम से मुक्ति देनी होगी तभी वह शक्ति बीमारी को ठीक करने पर लग सकती है।
प्राणियों को हमारी तरह मेडिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध नहीं होती। उसका खुद का शरीर ही उनकी ट्रीटमेंट कर लेता है।
हम भी जब बीमार होते हैं तो डॉक्टर हमें हल्का भोजन फल और जूस पीने की सलाह देते हैं जिससे यह साबित होता है कि हमारा शरीर स्वयं रोगों से लड़ने में सक्षम है, बस थोड़े अवकाश की जरूरत है और यह अवकाश हमें उपवास के माध्यम से मिल सकता है।
उपवास के फायदे –
1- उपवास करने से शरीर में छिपी गंदगी को साफ किया जा सकता है।
2- आजकल होने वाली विटामिंस की कमी का एक कारण उसका शरीर में सही absorption ना होना है उपवास करने से हमारा intestine track (अतलिया) साफ होता है जिससे विटामिंस का सही ऐब्सॉर्ब हो सकता है।
3- उपवास के द्वारा हमारे शरीर के हार्मोंस में बैलेंस आता है जिससे हमें शारीरिक और मानसिक समस्याओं में लाभ मिल सकता है।
4- सही तरीके से उपवास करने से हमारा वजन नियंत्रित रहता है।
5- वास करने से हमारा एनर्जी लेवल बढ़ता है और हम तरोताजा महसूस करते हैं।
6- उपवास के द्वारा पेट से जुड़ी कई समस्याओं में लाभ मिल सकता है जैसे कि कब्ज, एसिडिटी, गैस, अपचन इत्यादि।
बशर्ते हमें अपने खानपान में किसी भी प्रकार के बदलाव लाने से पहले किसी एक्सपर्ट या डॉक्टर की राय लेनी जरूरी है।
उपवास में किन चीजों का ख्याल रखें? – Tips for Fasting in Hindi
उपवास पर किए गए संशोधनों से पाया गया है कि ज्यादातर लोग उपवास में या उपवास के तुरंत बाद भारी भोजन कर लेते हैं जिससे शरीर को अधिक नुकसान पहुंचता है। तो हमें यहां थोड़ी समझदारी से काम लेना चाहिए।
उपवास के दौरान हमें ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए। हो सके तो थोड़ा गुनगुना पानी पिए जो कि शरीर को अंदर से अच्छी तरह साफ कर सकता है।
- फलों में केला, पपीता, खरबूजा अधिक लाभदायक होते हैं।
- आलू, दूध ओर दूध की बनावटो का उपवास में सेवन ना करें तो ज्यादा लाभ मिल सकता है।
- व्हीटग्रास जूस पीने से शरीर को जरूरी एनर्जी भी मिल जाती है और शरीर Detox भी हो जाता है।
- उपवास खत्म होने के बाद खाने में फल और हल्के अनाज को धीरे-धीरे शामिल करें जिससे शरीर ज्यादा अच्छी तरह पचा सकता है।
उपवास किसे नहीं करना चाहिए? – Who should not fast? in Hindi
- वैसे तो सभी स्वस्थ व्यक्ति उपवास कर सकते हैं मगर जिस व्यक्ति को डायबिटीज हो वह अपने डॉक्टर की सलाह अनुसार ही भोजन व्यवस्था तय करें।
- जिस व्यक्ति को खून की कमी हो अशक्त हो उसे उपवास करना ही हितावह नहीं है।
- गंभीर बीमारी में डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह अनुसार ही फास्टिंग करें।
- जो लोग भूखे नहीं रह सकते वे लोग Intermittent Fasting कर सकते हैं, उदाहरण के तोर पर शाम के 7:00 बजे से दूसरे दिन सुबह 10:00 बजे तक कुछ भी ना खाए। यानी कुल 16 घंटे उपवास हो जाएगा जिसमें से ज्यादातर वक्त सोते हुए निकल जाएगा।
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